Sunday, December 25, 2016

Motivational stories in Hindi – Jab Mahaan Sikander ki Mrityu Hui

Sikander Story and  in Hindi

Motivational stories in Hindi Jab Mahaan Sikander ki Mrityu Hui,Motivational stories in Hindi Jab Mahaan Sikander ki Mrityu Hui
 
जब महान सिकंदर की मृत्यु हुई |

जब महान Great Sikandar की Death हुई नगर के लाखों लोग रास्तों पर खडे हुए थे, उसकी अरथी की प्रतीक्षा कर रहे थे। अरथी महल से बाहर निकली वह जो खडे हुए लाखों लोग थे, उन सबके मन में एक ही प्रश्न था, उन सब की बात में एक ही प्रश्न और जिज्ञासा पूरे नगर में फैल गई, बडे आश्चर्य की बात हो गई थी, ऐसा कभी नहीं हुआ था

अरथियां तो रोज निकलती होंगी, रोज कोई मरता है लेकिन सिकंदर की अरथी निकली थी तो यह बात हो गई थी वह बडी अजीब थी अरथी के बाहर सिकंदर के दोनों हाथ बाहर लटके हुए थे हाथ तो भीतर होते हैं अरथी में क्या कोई भूल हो गई थी, कि हाथ अरथी के बाहर लटके हुए थे ?

लेकिन सिकंदर की अरथी और भूल हो जाए यह भी संभव था और एक-दो लोग नहीं; सैकडों लोग महल से उस अरथी को लेकर आए थे किसी को तो दिखाई पड गया होगा, हाथ बाहर निकले हुए हैं
सारा गांव पूछ रहा था कि हाथ बाहर क्यों निकले हुए हैं ? सांझ होते-होते लोगों को पता चला सिकंदर ने मरते वक्त कहा था, मेरे हाथ अरथी के भीतर मत करना

सिकंदर ने चाहा था/
उसके हाथ अरथी के बाहर रहें ताकि सारा नगर यह देख ले कि उसके हाथ भी खाली हैं हाथ तो सभी के खाली होते हैं मरते वक्त, उनके भी जिनको हम सिकंदर जानते हैं उनके हाथ भी खाली होते हैं
लेकिन सिकंदर को यह खयाल, उसके खाली हाथ लोग देख लें जिसने दुनिया जितनी चाही थी, जिसने अपने हाथ में सब कुछ भर लेना चाहा था, वह हाथ भी खाली हैं, यह दुनिया देख लें

सिकंदर को मरे हुए बहुत दिन हो गए लेकिन शायद ही कोई आदमी अब तक देख पाया है कि सिकंदर के हाथ भी खाली हैं और हम सब भी छोटे-मोटे सिकंदर हैं और हम सब भी हाथों को भरने में लगे हैं लेकिन आज तक कोई भी जीवन के अंत में क्या भरे हुए हाथों को पा सका है

अधिकतम लोग असफल मरते हैं यह हो सकता है कि उन्होंने बडी सफलताएं पाई हों संसार में, यह हो सकता है उन्होंने बहुत यश और धन पाया हो लेकिन फिर भी असफल मरते हैं क्योंकि हाथ खाली होते हैं मरते वक्त भिखारी ही खाली हाथ नहीं मरते, सम्राट भी खाली हाथ ही मरते हैं

तो फिर यह सारी जिंदगी का श्रम कहां जाता है ? अगर सारे जीवन का श्रम भी संपदा बन पाये और भीतर एक पूर्णता ला पाये तो क्या हम रेत पर महल बनाते रहते हैं, या पानी पर लकीरें खींचते रहे हैं, या सपने देखते रहते है और समय गंवाते रहते है

सिकंदर के सिपाहियों ने लूटेरों के सरदार को अथक प्रयास कर आखिर में पकड़ ही लिया और उसके सामने पेश किया | सिकंदर यह देख कर हस्तप्रद रह गया की उस सरदार के चेहरे पर डर का निशान तक नहीं थी, वह बिलकुल निडर हो कर सिकंदर के सामने खड़ा था | लूटेरों के सरदार से वह बोला, ‘यदि तुम चाहो तो माफ़ी मांगकर मुक्त हो सकते हो | वरना तुम्हें भोले-भाले लोगों को लूटने के इल्जाम में सजा भुगतनी पड़ेगी |’

निर्भीक सरदार बोला, मुझे मौत का कतई भय नहीं है | जो आया है, उसे एक--एक दिन इस संसार से जाना ही पड़ेगा | फिर एक लूटेरे का दूसरे लूटेरे को दंड देना या क्षमा करने का हक़ ही क्या है ?’ 

सिकंदर ने चौंक-कर पूछा, ‘क्या में तुम्हें लूटेरा नजर आता हूँ ?’ लूटेरे सरदार ने प्रत्युत्तर देते हुए कहा, ‘इसमे क्या शक है ? यदि में राह चलते लोगों को लूटता हूँ तो तुम भी तो राज्यों को लूटते हो |

जो कार्य में लघु स्तर पर करता हूँ, वही कार्य तुम व्यापक स्तर पर करते हों | यदि कोई अंतर है तो वह यह की तुम आजाद हो और में कैदी |’ इतना सुनकर सुनकर सिकंदर निरुत्तर हो गया और लूटेरे सरदार को मुक्त कर दिया |

सच है आज भी इस ज़माने में यही हो रहा हैं, पाप सब कर रहे हैं, भेद सिर्फ मात्रा का हैं | हमारे सत्य की भी एक मात्र है की इतना-इतना हैं तो यह सत्य हैं, और अगर इतना-इतना गलत किया तो यह गलत हैं |

हम सत्य को कैसे जान सकते हैं | दिया तलें अँधेरा, दिया चाहें उसके पास की जगह को चमका दें लेकिन उसके निचे ही अँधेरा होता हैं | वह खुद अँधेरे में होता हैं |

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