Saturday, December 24, 2016

Short Stories In Hindi - Guru and Shishya Short Story in hindi

गुरु बनाम शिष्य चुनौती – Guru and Shishya Short Story in hindi
Guru Or  Shishya Ki Kahani

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गुरु बनाम शिष्य चुनौती

युवक शिष्य का दिक्षा काल समाप्त होने वाला था निकट भविष्य में वह भी किसी आश्रम का संचालन करेगा। आश्रम छोडने से पहले वह यह जान लेना चाहता हैं कि वह अपने गुरु को भी चुनौती देने या परास्त करने में सक्षम हैं या नहीं?

वह एक छोटी सी चिडीयां को अपने हाथ पर भींच कर अपनी पीठ की ओर करके गुरु से पुछता है-  गुरुदेव मेरे हाथ मे एक चिडीया हैं क्या आप बता सकते हैं कि वह जीवित हैं अथवा मृत है?
शिष्य की योजना इस प्रकार हैं यदि उसके गुरु चिडीया को मृत बतायेंगे तो वह अपना हाथ खोल देगा और चिडीया उड जायेगी, और यदि गुरु चिडीयां को जीवित बतायेंगे तो वह चिडीया की गर्दन दबाकर उसे मार देगा।

इस प्रकार किसी भी स्थिति में वह अपने गुरु को गलत सिद्ध कर देगा।  गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा- पुत्र यह तो तुुम पर ही निर्भर करता हैं।

गुरु का मार्गदर्षन और शिष्य का संकल्प

गुरु वह जो जगा दे, परम से मिला दे, दिषा बता दे, खोया हुआ मिला दे, पुकारना सीखा दे, आत्मपरिचय करा दे, मार्ग दिखा दे और अंत में अपने जैसा बना दे। लेकिन याद रखना गुरु मार्गदर्षक हैं चलना तो स्वयं ही पडेगा।

हैं गुरुदेव आपका पावन सान्निध्य पाकर मेरा मोह नष्ट हो गया हैं, मैं अपने आत्म स्वरूप को उपलब्ध हो गया हूं। आपकी कृपा के प्रसाद से मेरे समस्त अज्ञान, मोह भ्रम टूट गये है.और मुझे बोध हो गया हैं कि मैं अमर-अमर नित्य, अविनाषी, अविकारी, ज्योतिर्मय, तेजोमय, शांतिमय आत्मा हूं। अब मैं अपने स्वरूप मेैं तेरा प्रतिरूप देख रहा हूं


है! योगेष्वर, है गुरुदेव अब मैं आपके वचन का संदेहरहित होकर पूर्णरूप से पालन करूंगा।

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