बीरबल की सूझबूझ, बुद्धी और हाजिरजवाबी से
जहां बादशाह अकबर प्रसन्न थे,
वहां दरबार के अन्य
लोगों में कई ऐसे भी थे जो बीरबल को उच्च पद से हटाना तथा बादशाह की दृष्टि में
गिराना चाहते थे। वे लोग ऐसे ही अवसर की ताक में रहते थे, जब वे बादशाह के कान भर सकें या किसी भी तरह बीरबल
को नीचा दिखा सकें। ऐसे अवसर अक्सर आते भी रहते थे। Akbar Birbal Stories In Hindi
एक बार बीरबल की अनुपस्थिति में बादशाह के कान भरने वालों ने एक स्वर में कहा-
'हमारी समझ में आज तक नहीं आया है कि जहांपनाह कि हम
लोगों में क्या कमी है?'
बीरबल को इतना महत्व
क्यों दिया जाता है? क्या वह हमसे ज्यादा विद्वान
है?'
'बहुत फर्क है उसमें और आप
लोगों में।' बादशाह ने मुंह खोला दिया।
'जानने की इच्छा है, हुजूर!'
'अच्छा, फर्क जानना चाहते हो?'
'हां, हुजूर!'
'फर्क दिखाया जाएगा। इसी समय
बीरबल के पास सूचना भेज दो,
वह सात दिनों के लिए
छुट्टी पर रहें तथा दरबार में न आएं। तुम लोगों में जो सबसे चतुर हो वह उनके स्थान
पर काम करे, उनकी कुर्सी पर विराजमान हो।
इस एक हफ्ते में हम फर्क का अहसास करा देंगे।'
ऐसा ही किया गया। उन लोगों में जो सबसे चतुर था, उसे बीरबल के स्थान पर नियुक्त कर दिया गया। बीरबल की हफ्तेभर के लिए छुट्टी
कर दी गई। बादशाह उन सबकी परीक्षा लेने का उचित अवसर और परीक्षा का विषय खोजते
रहे। एक सप्ताह खत्म होने को आ गया। छठा दिन था। बादशाह ने दरबारियों को एकत्र कर
उनके द्वारा चुने गए उस चतुर व्यक्ति से कहा -‘हमारे महल के पिछले हिस्से में कुतिया के बच्चों की-सी अवाजें आती रहती हैं-
देखकर आओ माजरा क्या है?'
(मुल्ला नसरूदीन के
मजेदार किस्सें)
'बहुत अच्छा हुजूर!' कहकर चतुर व्यक्ति चला गया। थोड़ी देर बाद लोटा।
बादशाह ने मुस्कराकर पूछा - 'क्या माजरा है?'
'कुतिया ने बच्चे दिए हैं
हुजूर! वे ही 'कूं-कूं' करते रहते हैं।'
'वे कितने बच्चे हैं?' बादशाह ने पूछा।
'हुजूर! मैंने तो गिने नहीं।'
'जाओ, गिनकर आओ।'
व्यक्ति आज्ञा पाकर दोबारा गया और थोड़ी देर बाद लौटा आया। आते ही बोला - 'जहांपनाह! पांच बच्चे दिए हैं कुतिया ने। मैं स्वयं
गिनकर आया हूं।'
'गिन आए?'
'जी हां।'
'अच्छा तो तुमने यह भी जरूर
देखा होगा कि उनमें कितने नर हैं और कितने मादा?' बादशाह ने मुस्कराकर कहा।
व्यक्ति चकरा गया। वह बोला - 'हुजूर! यह तो देखा नहीं।'
'देखकर आओ।'
व्यक्ति तीसरी बार गया और यह देखकर आया कि बच्चों में कितने नर और कितने मादा
थे।
'हुजूर! दो नर और तीन मादाएं।'
'अच्छा, जो नर है उनके रंग कैसे-कैसे हैं?'
'जी?' वह व्यक्ति पुनः घूमने लगा।
'मैंने दोनों नर बच्चों के
रंग पूछे हैं।' बादशाह ने कहा।
'जी, यहीं तक याद है, उनमें से एक तो काला है और एक शायद सफेद। जरा मैं एक बार फिर देख आता हूं।' और व्यक्ति चौथी बार गया। आकर बताया कि नर
काला-सफेद और दूसरी बादामी,
मादाओं में से दो
काली और एक बादामी है।
'बैठ जाइए।' बादशाह ने कहा।
व्यक्ति बैठ गया।
'अब बीरबल को यहां बुलाया
जाए।' बादशाह ने आदेश दिया।
बीरबल ने आते ही कहा- 'हुजूर! अभी तो एक दिन और
बाकी है, मैं परसों अपने आप ही आ
जाता।'
'जरूरी काम है।'
'सेवा बताइए।'
'हमारे महल के पीछे के भाग
में अजीब-सी आवाजें आती हैं- जैसे कभी कुतिया के भौंकने की, कभी कुतिया के बच्चों की 'कूं-कूं',
कभी गुर्राने की।
देखकर आओ, माजरा क्या है? जरा जल्दी लौटना।'
'अच्छा जहांपनाह?' बीरबल चले गए। बीरबल जब लौटे तो बादशाह ने प्रश्न
किया - 'क्या माजरा है?'
'कुतिया ब्याही है, पांच बच्चे दिए हैं, वे सब 'कूं-कूं' करते हैं,
कुतिया गुर्राती या
भौंकती रही होगी रात में,
कोई बात नहीं है
वहां।'
'पांच बच्चे हैं, उनमें नर-मादा कितने-कितने हैं?'
'दो नर, तीन मादाएं हैं।' बीरबल ने बताया।
'रंग किस प्रकार के हैं?'
'एक नर काला-सफेद दूसरा
बादामी, मादाएं दो काली और एक बादामी
है।'
बीरबल का उत्तर सुनकर बादशाह प्रसन्न हो गए। उन्होंने अपने दिल पर गर्व किया
कि उन्हें एक बुद्धीमान व्यक्ति मिला है जो उनके साथ रहता है। अपनी प्रसन्नता दबाए
हुए बोले - 'अब तुम लोग समझ गए होंगे कि
तुम में और बीरबल में क्या फर्क है?
क्यों श्रीमानजी?'
'जी।' व्यक्ति का सिर झुक गया। जिस काम को वह चार बार में
कर सका था और ढाई घण्टा लगाया था,
उसे बीरबल ने एक ही
बार में केवल आधे घण्टे में कर दिया था। वह समझ गया कि उनमें और बीरबल में क्या
फर्क है। बीरबल ने जो मान पाया है,
अपनी योग्यता के बल
पर पाया है।
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