Chanakya Biography in Hindi
Chanakya Biography, Stories Essay in
Hindi – चाणक्य, Chanakya
Biography, Stories Essay in Hindi - चाणक्य
चाणक्य
‘चाणक्य’ विश्व
प्रसिद्ध ऐतिहासिक
चरित्र है ।
नालन्दा विश्वविद्यालय
का आचार्य,
महापण्डित चाणक्य
अपने समय के
एक ऐसे प्रबुद्ध राजनीतिज्ञ थे, जो
इतिहास को एक
नया मोड़ देने
की क्षमता
रखते थे ।
वे अत्यन्त
दूरदर्शी और कुशाग्र बुद्धि के स्वामी थे । ईसा
पूर्व चौथी शताब्दी को यह वह
काल था, जब
भारत के पश्चिमोत्तर इलाके से विदेशी शक्तियां, भारत पर
आक्रमण कर रही
थीं । भारत
की विपुल
सम्पदा का लालच
उन्हें यहां खींचकर ला रहा था
।
उस समय समरत
भारत छोटे-छोटे
राज्यों में विभक्त था । कोई
भी राजा अपने
पड़ोसी राजा की
सहायता के लिए
तैयार नहीं था
। सभी अपने-अपने
राज्य की सीमाओं में सिमटे,
अपनी स्वार्थ-सिद्धि में ही अपनी
शक्ति को नष्ट
कर रहे थे
। एक राष्ट्र की भावना
को दूर-दूर
तक कोई नहीं
जानता था ।
दूसरे अर्थों
में यह भी
कहा जा सकता
है कि राष्ट्र की भावना
को कोई भी
पहचानना ही नहीं
चाहता था ।
ऐसे समय में
सर्वप्रथम आचार्य
चाणक्य ने भारत
में एक राष्ट्र की कल्पना
की ।
वे यह बात
अच्छी तरह से
समझ चुके थे
कि जब तक
भारत के ये
छोटे-छोटे राज्य
एक झण्डे
के नीचे नहीं
आएंगे, जब तक
इनके भीतर देश-प्रेम
की भावना
का उदय नहीं
होगा, जब तक
ये संगठित
होकर विदेशी
आक्रमणकारी शत्रु
का सामना
नहीं करेंगे,
जब तक एक
राष्ट्र के लिए
ये अपने तुच्छ
और निजी स्वार्थों का परित्याग
नहीं करेंगे,
तब तक भारत
की अखण्डता
और अस्मिता
को सुरक्षित
रख पाना कदापि
सम्भव नहीं होगा
।
भारत की स्वाधीनता के बाद विभिन्न रियासतों और रजवाड़ों को भारतीय
संघ में मिलाने का जो दुष्कर कार्य सरदार
बल्लभ भाई पटेल
ने किया था,
कुछ वैसा ही
दुष्कर कार्य
आचार्य चाणक्य
ने, आज की
परिस्थितियों से सर्वथा विपरीत स्थिति
में तब किया
था, जब यह
कार्य सर्वथा
असम्भव समझा जाता
था । तब
इस प्रकार
की कोई कल्पना ही नहीं कर
सकता था, परंतु
आचार्य चाणक्य
ने तब असम्भव को भी सम्भव
कर दिखाया
था । ‘ असम्भव’
शब्द उनके कोष
में नहीं था
। बड़ी-से-बड़ी
बाधा को वे
नगण्य समझते
थे ।
उस समय विदेशी आक्रमणकारियों में सर्वाधिक शक्तिशाली योद्धा
यूनान का राजा
सिकन्दर था ।
राजा सिकन्दर
ने जब भारत
पर आक्रमण
किया तो यहां
के कुछ देशद्रोही राजाओं ने अपने
स्वार्थ के लिए
सिकन्दर का साथ
दिया था, परंतु
आचार्य चाणक्य
ने पश्चिमोत्तर
भारत के कुछ
देशप्रेमी राजाओं
को संगठित
कर आततायी
सिकन्दर को जबरदस्त टक्कर दी और
चन्द्रगुप्त जैसा एक
महानायक देकर अखण्ड
भारत की नींव
रख दी ।
चन्द्रगुप्त के नेतृत्व में उन्होंने
भारत को एक
झण्डे के नीचे
संगठित करने का
सफल महायज्ञ
सम्पन्न किया ।
यह उन्हीं
की कुशल राजनीति का परिणाम
था कि सिकन्दर के बाद सम्राट चन्द्रगुप्त से टक्कर
लेने का साहस
फिर कोई आक्रमणकारी नहीं कर सका
। भारत के
स्वाभिमान की रक्षा
में आचार्य
चाणक्य अविचल
चट्टान की भांति
उठ खड़े हुए
थे । आचार्य चाणक्य को ‘कौटिल्य’
और ‘विष्णुगुप्त’
के नामों
से भी जाना
जाता है ।
चाणक्य पुत्र
होने के कारण
उन्हें चाणक्य
नाम मिला था
और कुटिल
राजनीतिज्ञ होने के
कारण उन्हें
‘कौटिल्य’ के नाम
से सम्बोधित
किया गया ।
उनको पिता के
द्वारा दिया गया
वास्तविक नाम विष्णुगुप्त था । कुछ
विद्वानों का मत
है कि कुटिल
गोत्र के वंशज
और अर्थशास्त्र
ग्रन्थ के प्रणेता होने के कारण
चाणक्य को ‘कौटिल्य’
कहा जाता है
। आचार्य
चाणक्य केवल अर्थशास्त्र के ही पंडित
नहीं थे, वरन्
दूसरे शास्त्रों
और शस्त्र-विद्याओं के भी वे
गहरे जानकार
थे ।
वे कूटनीतिक
योद्धा और असाधारण कोटि के कुशल
नीतिज्ञ सेनापति
थे । आचार्य चाणक्य का समस्त
जीवन जन-कल्याण की भावना
से ओत -प्रोत
था । वे
महान आदर्शवादी,
सामाजिक तथा राजनीतिक मर्यादाओं के प्रतिष्ठापक विद्वानों का तो
यहां तक मानना
है ‘कि जिन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का अध्ययन
नहीं किया,
वे राजतन्त्र
का सफल संचालन ही नहीं कर
सकते ।
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