Tuesday, November 22, 2016

Akbar Birbal Stories In Hindi – Aayu Bdhane Wala Ped

Aayu Bdhane Wala Ped

एक बार तुर्किस्तान के बादशाह को अकबर की बुद्धी की परीक्षा के लेने का विचार हुआ। उसने एक एलची को पत्र देकर सिपाहियों के साथ दिल्ली भेजा। पत्र का मजमून कुछ इस प्रकार था- 'अकबरशाह! मुझे सुनने में आया है कि आपके भारततवर्ष में कोई ऐसा पेड़ पैदा होता है जिसके पत्ते खाने से मनुष्य की आयु बढ़ जाती है। यदि यह बात सच्ची है तो मेरे लिए उस पेड़ के थोड़े पत्ते अवश्य भिजवाएं.' Akbar Birbal Stories In Hindi 

बादशाह उस पत्र को पढ़कर विचारमग्न हो गए। फिर कुछ देर तक बीरबल से राय मिलाकर उन्होंने सिपाहियों सहित उस एलची को कैद कर एक सुदृढ़ किले में बेद करवा दिया। इस प्रकार कैद हुए उनको कई दिन बीत गए तो बादशाह अकबर बीरबल को लेकर उन कैदियों को देखने गए।

बादशाह को देखकर उनको अपने मुक्त होने की आशा हुई, परन्तु यह बात निर्मूल थी। बादशाह उनके पास पहुंचकर बोले - 'तुम्हारा बादशाह जिस वस्तु को चाहता है, वह मैं तब तक उसे नहीं दे सकूंगा जब तक कि इस सुदृढ़ किले की एक-दो ईट न ढह जाए, उसी वक्त तुम लोग आजाद किए जाओगे। खाने-पीने की तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी। मैंने उसका यथाचित प्रबन्ध करा दिया है।' इतना कहकर बादशाह चले गए, परन्तु कैदियों की चिंता और बढ़ गई। वे अपने मुक्त होने के उपाय सोचने लगे। उनको अपने स्व्देश के सुखों का स्मरण कर बड़ा दुख होता था।

वे कुछ देर तक इसी चिंता में डूबे रहे। अंत में वे इश्वर की वन्दना करने लगे- 'हे भबवान! क्या हम इस बन्धन से मुक्त नहीं किए जाएंगे? क्या हमारा जन्म इस किले में बन्द रहकर कष्ट भोगने के लिए हुआ है? आप तो दीनानाथ हैं, अपना नाम याद कर हम असहायों की भी सुध लीजिए।इस प्रकार वे नित्य प्राथर्ना करने लगे।

ईश्वर की दयातलुता प्रसिद्ध है। एक दिन बड़े जोरों का भूकम्प आया और किले का कुछ भाग भूकम्प के कारण धराशायी हो गया। सामने का पर्वत भी टूटकर चकनाचूर हो गया। इस घटना के पश्चात एलची ने बादशाह के पास किला टूटने की सूचना भेजी।

बादशाह को अपनी कही हुई बात याद आ गई। इसलिए उस एलची को उसके साथियों सहित दरबार में बुलाकर बोले - 'आपको अपने बादशाह का आशय बिदित होगा और अब उसका उत्तर भी तुमने समझ लिया है। यदि न समझा हो तो सुनो, मैं उसे और भी स्पष्ट किए देता हूं।' देखो, तुम लोग गणना में केवल सौ हो और तुम्हारी आह से ऐसा सुदृढ़ किला ढह गया, फिर जहां हजारों मनुष्यों पर अत्याचार हो रहा हो, वहां के बादशाह की आयु कैसे बढ़ेगी? उसकी तो आयु घटती ही चली जाएगी और लोगों की आह से उसका शीघ्र ही पतन हो जाएगा। हमारे राज्य में अत्याचार नहीं होता, गरीब प्रजा पर अत्याचार न करना और भलीभांति पोष्ण करना ही आयुवर्धक वृक्ष है। बाकी सारी बातें मिथ्या हैं।

इस प्रकार समझा-बुझाकर बादशाह ने उस एलची को उसके साथियों सहित स्वदेश लौट जाने की आज्ञा दी और उनका राह-खर्च भी दिया। उन्होंने तुर्किस्तान में पहुंचकर यहां की सारी बातें अपने बादशाह को समझाईं। अकबर की शिक्षा लेकर बादशाह दरबारियों सहित उनकी भूरि-भुरि प्रशंसा करने लगा।

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