Sant Kabir Biography
Sant Kabir Biography, Stories Essay in
Hindi - संत कबीर, Sant
Kabir Biography, Stories Essay in Hindi - संत कबीर
संत कबीर
संत कबीर का
जन्म आज से
लगभग 600 वर्ष पूर्व
हुआ था ।
उस समय समाज
में पाप अपनी
चर्म सीमा पर
पहुंच चुका था
। जाति-पाति,
ऊंच-नीच, अंधविश्वास धर्म के नाम
पर मार-काट
आदि ने मानव
जाति को अपने
वश में किया
हुआ था ।
संत कबीर के
माता-पिता का
नाम तो अज्ञात है । वे
वाराणसी के पास
लहरतारा तालाब
के पास नीरू
नामक एक जुलाहे को मिले ।
वह जुलाहा
निःसंतान था ।
उसकी पत्नी
का नाम नीमा
था । निःसंतान होने के कारण
दोनों ने उस
बालक के पालन-पोषण
का निश्चय
किया । जुलाहा दंपति मुसलमान
थे ।
बालक का नामकरण किया गया और
कबीर नाम रखा
गया । कबीर
दास बाल्यावस्था
से ही साधु-संतों
की संगत करते
थे, उन्हें
उनके आचार-विचार
बहुत भाते थे
।. बाल्यावस्था
से ही उन्हें भजन-कीर्तन
में बहुत आनंद
आता था ।
रामानंद जी से
कबीर दास जी
बहुत प्रभावित
थे । वे
उन्हें अपना गुरु
बनाना चाहते
थे । रामानंद जी प्रतिदिन
भोर होने से
कुछ पहले स्नान
करने गंगा के
घाट पर जाते
थे । एक
दिन कबीर दास
जी रात्रि
में ही गंगा
के घाट की
सीढ़ियों पर लेट
गए । प्रतिदिन की तरह रामानंद जी गंगा स्नान
के लिए सीढ़ियां उतर रहे थे
कि अचानक
उनका पांव कबीर
दास पर पड़ा
और वे बड़ी
जोर से राम-राम
चिल्लाने लगे ।
कबीरजी ने तुरंत
उठकर रामानंद
जी के पैर
पकड़ लिए और
अपनी इच्छा
जाहिर की, उनकी
दृढ़ इच्छा
को देखते
हुए रामानंद
जी ने उन्हें अपना शिष्य
बना लिया ।
कबीर दास जी
को हिन्दू
तथा मुसलमान
दोनों धर्मों
के लोग पूरी
श्रद्धा से मानते
थे । कबीर
दास ने जाति-पाति
के भेदभाव
तथा अंधविश्वास
का कड़ा विरोध
किया, उन्होंने
हिन्दू व मुस्लिम दोनों धर्मों
की बुराइयों
का खुले आम
विरोध करते हुए
मानव को सर्वश्रेष्ठ बताया । कबीर
दास जी के
अनुसार गुरु की
महानता असीम है
। वे गुरु
को ईश्वर
का रूप मानते
थे । उनका
मानना था कि
गुरु की महिमा
अनन्त है, गुरु
का ज्ञान
असीम और अनमोल
है, क्योंकि
गुरु के बिना
ज्ञान नहीं मिलता
और जब तक
ज्ञान नहीं होगा,
तब तक सांसारिक बंधनों से मुक्ति नहीं मिल सकती
।
कबीर दास जी
ने काम-क्रोध,
लोभ, मद एवं
मोह आदि बुराइयों से ऊपर उठकर
लोगों को संदेश
दिया । उन्होंने अपनी कविताओं,
प्रवचनों आदि में
मनुष्य को इनसे
बचने का संदेश
दिया है ।
उन्होंने शिक्षा
पर भी जोर
दिया तथा धार्मिक आडंबरों का पुरजोर विरोध किया ।
इस -प्रकार
कबीर दास जी
ने अपने ज्ञान
रूपी प्रकाश
से मानव जीवन
का कल्याण
किया । उनके
द्वारा दिए गए
ज्ञान का मानव
सदा ऋणी रहेगा
।
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