Pandit Jawaharlal Nehru Biography
Pandit Jawaharlal Nehru Biography,
Stories Essay in Hindi - जवाहरलाल नेहरू, Pandit
Jawaharlal Nehru Biography, Stories Essay in Hindi - जवाहरलाल नेहरू
पंडित जवाहरलाल
नेहरू
पंडित जवाहरलाल
नेहरू भारत के
स्वतंत्रता संग्राम
के महान सेनानी थे । उनका
जन्म 14 नवंबर,
1889 को हुआ था
। उनके पिता
का नाम श्री
मोतीलाल नेहरू
था । वे
अपने समय के
एक प्रसिद्ध
वकील थे ।
जवाहरलाल नेहरू
की माता का
नाम स्वरूप
रानी था ।
जवाहरलाल नेहरू
की शिक्षा
उच्च स्तर की
रही । उन्होंने इंग्लैंड से वकालत
पास की थी
।
जवाहरलालजी एक देशभक्त परिवार से संबंध
रखते थे, इसलिए
उनमें देशभक्ति
की भावना
स्वाभाविक ही थी
। जवाहरलालजी
का विवाह
सन् 1916 में कमला
नामक युवती
से हुआ ।
कमलाजी बेहद सुसंस्कृत उगैर पड़ी-लिखी
युवती थीं ।
स्वतंत्रता आंदोलन
में उन्होंने
जवाहरलालजी को पूर्ण
सहयोग दिया ।
सन् 1916 में लखनऊ
में हुए अखिल
भारतीय कांग्रेस
के वार्षिक
अधिवेशन में वे
गांधीजी के संपर्क में उगए ।
गांधीजी से मिलकर
वे अत्यंत
प्रभावित हुए ।
उग्ब वे भी
ब्रिटिश सरकार
के विरुद्ध
उगवाज उठाने
लगे । ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध
करने पर उन्हें कई बार जेल
जाना पड़ा ।
वे अपने देश
के नागरिकों
के कष्टों
से पूर्ण
रूप से परिचित थे । उन्होंने देश को स्वतन्त्र कराने के लिए
कड़ा संघर्ष
किया, अंतत:
15 अगस्त, 1947 को
भारत को आज़ादी
मिली ।
आजादी मिलने
के बाद इतने
विशाल साम्राज्य
को संभालना
और उसे विकास
के मार्ग
पर लाना एक
चुनौती थी ।
आज़ादी के बाद
उन्होंने देश के
चहुंमुखी विकास
के लिए भरपूर
प्रयास किया ।
उन्होंने भारत की
जनता को कड़ी
मेहनत करने की
प्रेरणा दी ।
देशवासियों को ‘आराम
हराम है’
का नारा देने
वाले जवाहरलाल
नेहरू ही थे
। नेहरूजी
ने देश के
समुचित विकास
के लिए योजना
आयोग का गठन
किया तथा पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण में योगदान
दिया । वे
लगातार 17 वर्षों
तक देश के
प्रधानमंत्री बने रहे
। .
नेहरूजी
की एक खास
बात और भी
थी, वे बच्चों से बेशुमार
प्यार करते थे,
इसलिए बच्चे
उन्हें प्यार
से ‘चाचा नेहरू’
कहकर बुलाते
थे । बच्चों के साथ वे
स्वयं को न
तो नेता समझते
थे और न
ही प्रधानमंत्री
। . आज भी
प्रतिवर्ष 14 नवंबर
को चाचा नेहरूजी का जन्म दिवस
बड़ी धूम-धाम
से मनाया
जाता है, स्कूलों में बच्चे
इस दिन अनेक
सांस्कृतिक कार्यकर्म
करते है.
जवाहरलालजी को झूठ
बोलने वालों
से सख्त नफरत
थी । हिम्मत हारना उनके सिद्धांतों में नहीं था
। वे प्रवान-बूढ़े सभी की
बातों पर गौर
करते थे ।
उनके व्यवहार
में शिष्टाचार
का समावेश
होता था ।
ख 27 मई सन्
1964 को उस पुण्यात्मा का स्वर्गवास
हो गया ।
सारे देश में
शोक की लहर
दौड़ गई ।
सारा राष्ट्र
स्तब्ध था ।
पंडित जवाहरलाल
नेहरू उच्च जीवन
मूल्यों वाले व्यक्ति थे । उन्होंने अपना पूरा जीवन
देश-सेवा में
अर्पित किया ।
उन्होंने अपने जीवन
में कभी भी
अपने सिद्धांतों
से समझौता
नहीं किया ।
नेहरू जी भले
ही आज हमारे
बीच नहीं हैं,
किंतु उनके कार्यों, जीवन के आदर्शों और सिद्धांतों
को अपनाकर
हम अपना जीवन
धन्य कर सकते
हैं ।
जवाहरलाल जी जैसे
महापुरुषों का नाम
इतिहास में सदा
अमर रहेगा
।
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