Wednesday, December 21, 2016

Mahatma Gandhi Biography, Stories, Essay in Hindi – महात्मा गाँधी

Mahatma Gandhi Biography

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Mahatma Gandhi Biography, Stories, Essay in Hindi – महात्मा गाँधी
महात्मा गांधी

2 अक्टूबर सन् 1869 को भारत की पावन भूमि पर एक महान आत्मा ने जन्म लिया जिसने भारत माता को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने का महान कार्य किया उनका जन्म गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था उनके पिता का नाम कर्मचंद गांधी था तथा माता का नाम पुतलीबाई था उनकी माता सर्वगुण संपन्न और धर्म परायण महिला थीं

गांधीजी छोटे थे तो वे उन्हें वीरता और देशभक्ति की कहानियां सुनाया करती थीं गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था वे एक सुशिक्षित और सुविचारों वाले व्यक्ति थे उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की डिग्री हासिल की थी वे चाहते तो वकालत करके खूब दौलत कमा सकते थे और एशो-आराम से पूरा जीवन व्यतीत कर सकते थे, परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया वे जब वकालत की डिग्री लेकर भारत लौटे तो अंग्रेजों द्वारा भारतवासियों पर हो रहे जुल्मों -को देखकर दंग रह गए

उन्होंने भारतवासियों पर हो रहे इस जुल्म को मिटाने का दृढ़ संकल्प लिया और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े गांधीजी हिंसा के विरोधी थे वे अहिंसावादी थे, उन्होंने अंग्रेज सरकार की नीतियों का अहिंसा पूर्वक विरोध किया उनकी अहिंसा की नीति से संपूर्ण विश्व प्रभावित हुआ उनकी इस नीति से धीरे-धीरे अंग्रेजों के पांव भारत से उखड़ने लगे और 15 अगस्त सन् 1947 को ब्रिटिश शासन का संपूर्ण भारत से पतन हो गया गांधीजी ने अहिंसा के जरिए अंग्रेजों को कंपाकर रख दिया था

गांधीजी सच्चे अर्थों में महापुरुष थे उन्होंने संपूर्ण विश्व को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया उन्होंने सादा जीवन व्यतीत किया भारतवासियों ने उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा दिया भारतवासी प्यार से उन्हें बापू भी कहते हैं महात्मा गांधी ने आजादी के साथ-ही-साथ देश में व्याप्त अन्य बुराइयों जैसे जाति-प्रथा, दहेज-प्रथा, रुढ़िवादिता आदि का पुरजोर विरोध किया और इसे देश की उन्नति के मार्ग में भारी रुकावट बताया उन्होंने स्त्रियों को शिक्षित करने के लिए भी कदम उठाए, उनके अनुसार स्त्रियां भी देश के विकास में उतनी ही सहायक हैं जितना कि पुरुष

उनका राजनीति से कोई लगाव नहीं था वे तो मानव कल्याण हेतु अपना सर्वस्व लुटाना चाहते थे गांधीजी ने सत्य, अहिंसा और सदाचरण के द्वारा जनता का कल्याण किया उन्होंने आजादी के पश्चात शांति हेतु अपने आश्रम में अपना अधिकतर समय बिताया वहां वे भूले-भटके लोगों को उरपने उपदेशों द्वारा सही मार्ग दिखाते थे उन्होंने गरीबों और बेसहारों को सहारा दिया

दीन-दुखियों के दुख को अपना दुख समझा और उन्हें खुशहाल बनाने का हर संभव प्रयास किया उनका संपूर्ण जीवन मानव कल्याण में बीता 30 जनवरी, सन् 1948 को संध्या समय जब गांधीजी पूजा-पाठ करके अपने शिष्यों के साथ उग रहे थे तो एक अज्ञानी नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी इस तरह एक महान पुरुष की जीवन-लीला समाप्त हुई वे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा दिया गया ज्ञान आज भी हमें सत्य और अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है


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