Wednesday, December 21, 2016

Rabindranath Tagore Biography/Stories/Essay in Hindi – रवीन्द्रनाथ टैगोर

Rabindranath Tagore Biography

Rabindranath Tagore Biography/Stories/Essay in Hindi – रवीन्द्रनाथ टैगोर, Rabindranath Tagore Biography/Stories/Essay in Hindi – रवीन्द्रनाथ टैगोर
Rabindranath Tagore Biography/Stories/Essay in Hindi – रवीन्द्रनाथ टैगोर

विश्व साहित्य में अद्वितीय योगदान के लिए रवीन्द्रनाथ टैगोर को एक महाकवि, महान उपन्यासकार और साहित्य के प्रकाश-स्तंभ के रूप में याद किया जाता है वे सिर्फ लेखक ही नहीं थे, वरन् एक महान कवि, बेमिसाल संगीत रचयिता और प्रेरक शिक्षक के साथ-साथ अनूठी शैली के चित्रकार भी थे उनका जन्म 7 मई, 1861 को जोरासाको कोलकाता में हुआ उनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ ठाकुर और माता का नाम शारदा देवी था

उनके पिता अत्यत ही सरल सौम्य और साधु प्रवृत्ति के व्यक्ति थे उनकी साधु प्रवृत्ति के कारण ही लोग उन्हेंमहर्षिकहकर संबोधित किया करते थे रवि की माताजी अनुशासन प्रिय, उदार प्रवृत्ति की और एक कुशल गृहिणी थीं रवि शारदा देवी की चौदहवीं संतान थे उनका परिवार सुखी-समृद्ध और सुशिक्षित था, इसलिए रवि के पालन-पोषण में भी कोई कंजूसी नहीं बरती गई

उनकी प्रारंभिक शिक्षा के लिए घर पर ही एक शिक्षक की नियुक्ति की गई, बालक रवि इस शिक्षा-व्यवस्था से उस समय पूरी तरह असंतुष्ट था जब वह अपने बड़े बहन-भाइयों को स्कूल जाते देखता तो उसका मन भी स्कूल जाने को मचल उठता, इसलिए उन्हेंओरिएंटल सेमिनरी स्कूलमें भर्ती करा दिया गया स्कूल की शिक्षा-व्यवस्था से शीघ्र ही उनका मन उचाट हो गया सन् 1875 में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया तथा लेखन कार्य शुरू कर दिया रवीन्द्रनाथ जी जब 22 वर्ष के हुए तो उनके पिता महर्षि देवेन्द्रनाथजी ने उनका विवाह बेनी माधव राय चौधरी की पुत्री से संपन्न कराया

उस समय वधू की आयु मात्र 11 वर्ष थी विवाह से पूर्व रवीन्द्रनाथ जी की पत्नी का नाम भवतारिणी था, लेकिन विवाहोपरांत काव्य प्रतिभा के धनी रवीन्द्रनाथ ने अपनी पत्नी को भवतारिणी से मृणालिनी बना दिया रवीन्द्रनाथ जी पहले अपनी पारिवारिक पत्रिकाभारतीके लिए लिखते थे, बाद में वे नई पारिवारिक पत्रिकाबालकके लिए भी शिशु गीत, कविताएं, कहानियां, नाटक और लघु उपन्यास आदि लिखने लगे सन् 199 से 1910 के बीच लिखे गीतों का संकलन उन्होंनेगीतांजलिके नाम से प्रकाशित कराया, जिसेइंडिया सोसाइटी आफ़ लंदनद्वारा नवंबर, 1912 में अंग्रेजी में अनुवादित कर प्रकाशित किया गया

गीतांजलि के छपते ही रवीन्द्रनाथ जी का नाम अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं में छा गया और उनकी प्रसिद्धि की खुशबू समरत विश्व में फैलने लगी 13 नवंबर, 1913 के दिन उन्हेंगीतांजलिके लिए नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई, जिसके बाद कवि, लेखक, नाटककार और संगीतज्ञ के साथ-साथ महान शिक्षाविद और दार्शनिक के रूप में उनकी ख्याति पूरे विश्व में फैल गई वे मुसोलिनी, आईंस्टीन और महात्मा गांधी जैसी विश्व-विख्यात हस्तियों के भी संपर्क में आए

हमारे राष्ट्रीय गानजन गण.. .मनके निर्माता भी श्री रवीन्द्रनाथ जी ही हैं वे कवि और लेखक होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी थे उन्होंने ही सन् 1925 में शांति निकेतन में भव्य रूप सेवृक्षारोपण समारोहमनाने का निश्चय किया वे ही वृक्षारोपण उत्सव के जन्मदाता हैं सन् 1915 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हेंनाइट हुडकी उपाधि से सम्मानित किया था, लेकिन जलियांवाला बाग के हत्या कांड में हुए नृशंस हत्या कांड से उनका संपूर्ण अस्तित्व गरज उठा 29 मई को उन्होंने उस समय के वायसराय लॉर्ड चेमनफोर्ड को अपनीनाइट हुडकी उपाधि लौटा दी

इस तरह उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की अवहेलना करते हुए उसे उसकी औकात दिखा दी और भारतवर्ष के सम्मान, स्वाभिमान और विश्वास की रक्षा की नोबेल पुरस्कार मिलने के पश्चात वे कई देशों के निमंत्रण पर गए और वहां उन्होंने अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाया 7 अगस्त 1941 को विश्व साहित्य का वह प्रकाश स्तंभ सदा के लिए इस संसार से विदा हो गया

श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर एक ऐसे महान साहित्यकार हुए हैं, जिन्होंने केवल भारत में, अपितु विश्व-भर में अपार ख्याति अर्जित की हमें ऐसे महान लेखक, कवि, चित्रकार और शिक्षक के दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए ताकि आगे चलकर हम भी उनकी भांति, यश और कीर्ति प्राप्त कर सकें


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