Wednesday, December 21, 2016

Atal Bihari Vajpayee Biography, Stories Essay in Hindi - अटल बिहारी वाजपेयी

Atal Bihari Vajpayee Biography

Atal Bihari Vajpayee Biography, Stories Essay in Hindi - अटल बिहारी वाजपेयी, Atal Bihari Vajpayee Biography, Stories Essay in Hindi - अटल बिहारी वाजपेयी
Atal Bihari Vajpayee Biography, Stories Essay in Hindi - अटल बिहारी वाजपेयी


Atal Bihari Vajpayee (अटल बिहारी वाजपेयी)

श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर नगर की शिन्दे की छावनी वाले घर में ब्रह्ममुहूर्त में हुआ था अटलजी के जन्म के समय पास ही स्थित गिरजाघर में घंटे बज रहे थे और तोपों के गोले दागे जा रहे थे तोपों की सलामी ईसा मसीह को दी जा रही थी उस दिन ईसा मसीह का जन्मदिन था, परंतु यह एक विचित्र संयोग था कि तोपें उस महान बालक को भी जन्म के समय सलामी दे रही थीं जिसे आगे चलकर मानव मूल्यों का संरक्षक और भारतवर्ष का प्रधानमंत्री बनना था इस धरा पर ऐसे बहुत कम लोग जन्मते हैं जो राजनीति और लोक-हित दोनों को साथ लेकर चल सकें

राज-काज संभालने वाले व्यक्तियों ने सदा दौलत और शौहरत को चुना है लोक-हित यदि उनकी राजनीति का हिस्सा रहा भी तो उसका उद्देश्य समाज-कल्याण नहीं था, बल्कि अपने चारों ओर सुख-सुविधाओं के अंबार लगाना तथा आदर प्रशंसा प्राप्त करना था अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने लोक-हित और देश-हित को अपने जीवन और अपनी राजनीति के लिए चुना इससे भी अधिक सच यह है कि उन्होंने लोक-हित राष्ट्र-हित के लिए अपनी निजी उगकांक्षाउर्रो और परिवार के प्रति दायित्वों को एक ओर रख राजनैतिक-पथ का चयन किया

उनके महत्त्वाकांक्षी पिता चाहते थे कि अटल प्रसिद्ध वकील या उगई .. एस. अधिकारी बनकर अपनी परिवार की प्रतिष्ठा बढ़ाए, परंतु अटलजी ने इन दोनों रास्तों से अपने पांव खींच लिए और राजनीति की चुनौती भरी डगर पर चल पड़े   मूल्यों की राजनीति, सेवा की राजनीति, त्याग और बलिदान की राजनीति उनका पाथेय बनी उनका बचपन स्वाधीनता संग्राम के बीच बीता था और युवाकाल आते-आते देश ने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी

स्वाधीनता के उषाकाल में विभाजन को लेकर जो रक्तपात हुआ था, सांप्रदायिक मृणा से उपजी हिंसा का जो तांडव हुआ था, उसने उनके युवा मानस को झकझोर डाला था उनकी चेतना ने उनसे प्रश्न किए थे-इस देश की धरती पर सांप्रदायिकता के बीज किसने बोए हैं? हिन्दु और मुसलमान के बीच उपजी इस बेपनाह नफरत का कारण क्या है? महान सांस्कृतिक विरासत और ठोस जीवन-शैली के बावजूद यह देश तरक्की क्यों नहीं कर पाया? आजादी मिली परंतु उसका लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंचा, ऐसा क्यों हुआ? देश को मिली इस अधूरी आजादी को पूर्णता के लक्ष्य तक पहुंचाने के उपाय क्या हैं? अपने विद्यार्थी जीवन में ही ऐसे अनेक प्रश्नों से आहत अटलजी ने संकल्प लिया कि इन प्रश्नों के उत्तर वे जानकर ही रहेंगे

उनके जिज्ञासु मानस ने इन प्रश्नों के उत्तर तलाशे तो उन्हें लगा कि कारण जान लेना ही पर्याप्त नहीं है, इन कारणों को निर्मूल करने के लिए पूरा जीवन लगाना होगा देश संभालने वाले हाथों ने जिस दायित्व की अनेदखी की है, वह तुम्हें स्वयं निभाना होगा, अपने आपको इस दायित्व को संभालने के काबिल बनाना होगा बस, तभी अटलजी ने फैसला ले लिया- अपने लिए कुछ करूंगा, परिवार के लिए पूरा जीवन देश-सेवा में लगा दूंगा देश उगैर समाज कौ समस्याओं को जड़ों तक समझने में पूरा वक्त लगाऊंगा और फिर उन्हें निर्मूल करने में जुट जाऊंगा इस संकल्प के साथ अटलजी ने वकालत बीच में ही छोड़ दी उगैर पत्रकारिता तथा राजनीति से जुड़ गए

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उन्होंने त्याग और तपस्या का पाठ सीखा, राष्ट्र-हित के लिए रात-दिन कर्मरत रहने की प्रेरणा ली और पूरे मनोयोग से अपने काम में जुट गए उस दिन से आज तक वे अपने उसी मिशन में जुटे हैं इस बीच राजनीति में अनेक उतार-बढ़ाव आए, देश के सामने अनेक प्रकार की समस्याएं आईं, उनके सामने कठिन-से-कठिन चुनौतियां आईं, परंतु वे उरपने लक्ष्य पर दृष्टि टिकाए अपने कर्तव्य पथ पर सदा अटल रहे लोकहित मूल्यों की राजनीति से उन्होंने अपना सफर शुरू किया था

सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री तक की भूमिकाओं को उन्होंने अटल धैर्य संयम के साथ निभाया पचास वर्ष से अधिक लंबे उनके राजनैतिक जीवन में देश के सामने जब-जब चुनौती की घड़ी आई, अटलजी पूरी शक्ति के साथ चुनौती से जूझे उगैर उसे पटखनी देकर देश को संकट से निकाल लाए आपातकाल में धैर्यपूर्वक सभी विपक्षीदलों को एकजुट कर उन्होंने कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया और लोकतांत्रिक मर्यादाओं की पुनर्स्थापना की वी.पी. सिंह की राजनैतिक संकीर्णता के कारण जब युवा शक्ति टकराव की स्थिति में गई और आत्मदाहों का आत्मघाती दौर शुरू हुआ, तब उन्होंने देश को उनके शासन से मुक्ति दिलाई, भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को कटघरों में खड़ा किया कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान की साख धूल में मिला दी और आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व-भर का समर्थन हासिल कर लिया

अनेक राजनैतिक दलों को एक साथ लेकर चलने के लिए एनडीए. का गठन किया और त्रिशंकु संसद के बावजूद केन्द्र में सरकार बनाकर लोक कल्याणकारी नीतियां लागू की भाजपा को राजनैतिक अछूत मानने वाले तथा उसे सत्ता से बाहर रखने के लिए आधारहीन गठबंधन बनाने वाले स्वार्थी राजनैतिक दलों को उन्हीं के गड़ों में पुसकर छिन्न-भिन्न किया और नितांत भिन्न विचारधाराओं वाले राजनैतिक दलों को साथ लेकर चलने का आदर्श प्रस्तुत किया

यह सब करते हुए वाजपेयीजी सदा इस बात से पीड़ित रहे कि देश में मूल्यों की राजनीति दम तोड़ रही है, लोक-हित की भावना पीछे छूटती जा रही है, सत्ता में आने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाने की राजनीति जोर पकड़ती जा रही है देश की आजादी को पचास वर्ष से अधिक हो गए, किंतु उगम उगदमी अब भी अभावों की जिंदगी जी रहा है देश में विकास की प्रक्रिया तीव्र है, परंतु उसका लाभ आम उगदमी को नहीं मिल पा रहा है देश को आपुनिकतम हथियारों से लैस करके देश को परमाणु महाशक्ति बनाकर श्री वाजपेयी ने सुरक्षा की दृष्टि से उसे आत्मनिर्भर बना दिया

सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाया तथा शत्रुउरों का मनोबल तोड़ा देश में निवेश की स्थिति को मजबूत बनाने, अर्थव्यवस्था को गति देने तथा बेरोजगारी उगैर गरीबी की समस्याओं का विकल्प तलाशने की दृष्टि से उन्होंने खतरा उठाकर भी आर्थिक उदारता की नीति लागू की और विदेशी निवेश के लिए द्वार खोल दिए उगलोचनाओं और प्रत्यालोचनाओं केबावजूद श्री वाजपेयी भारत के एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्हें देश की जनता पूरे मन से रचीकार करती है रचार्थ की राजनीति के इस दौर में सर्व-स्वीकार्य नेता की मौजूदगी देश की बहुत बड़ी उपलब्धि है



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