Motivational Stories In Hindi
Motivational Stories In Hindi – Insaan ki Khopdi, Vaasna Jo ki kabhi nahi Bharti,
Motivational
Stories In Hindi – Insaan ki Khopdi,
Vaasna Jo ki kabhi nahi Bharti
इंसान
की
खोपडी,
वासना
जो
की
कभी
नहीं
भरती
एक महल के द्वार पर बहुत भीड लगी हुई थी । भीड
बढती ही जा रही थी । और
दोपहर से भीड बढनी शुरू हुई थी, अब सांझ होने आ गई
। सारा गांव ही करिब-करिब उस द्वार पर इकट्ठा हो गया ।
क्या हो गया था उस द्वार पर राजमहल के ? एक छोटी-सी घटना हो गई और घटना ऐसी बेबूझ थी कि जिसने सुना वह वहीं खडा होकर देखता रह गया । किसी
की कुछ भी समझ में न आ
रहा था ।
एक भिखारी सुबह-सुबह आया और उसने राजा के महल के सामने अपना बिक्षापात्र फैलाया । राजा
ने अपने नौकरों से कहा कुछ दे दो इसे । उस
भिखारी ने कहा, एक शर्त पर लेता हूं ।
यह भिक्षापात्र उसी शर्त पर कोई चीज स्वीकार करता है जब यह वचन दिया जाए कि आप मेरे भिक्षापात्र को पूरा भर देंगे, तभी मै कुछ लेता हूं ।
राजा ने कहा, यह कौन-सी मुश्किल है, छोटा-सा भिक्षापात्र है, पूरा भर देंगे और अन्न से नहीं स्वर्ण अशर्फियों से भर देंगे । भिक्षुक
ने कहा, और एक बार सोच लें, पीछे पछताना न पडे
।
क्योंकि इस भिक्षापात्र को लेकर मैं और द्वारों पर भी गया हूं और न-मालूम
कितने लोगों ने यह वचन दिया था कि वे इसे पूरा भर देंगे । लेकिन
वे इसे पूरा नहीं भर पाए और बाद में उन्हें क्षमा मांगनी पडी ।
राजा हंसने लगा और उसने कहा कि छोटा-सा भिक्षापात्र । उसने
अपने मंत्रियों को कहा, स्वर्ण अशर्फियों से भर दो । यही
घटना हो गई थी, राजा स्वर्ण अशर्फियां डालता चला गया था, भिक्षापात्र कुछ ऐसा था कि भरता ही नहीं था ।
सारा गांव द्वार पर इकट्ठा हो गया था देखने । किसी
को समझ में कुछ भी न पडता
था कि क्या हो गया है ? राजा का खजाना चुक गया । सांझ
हो गई, सूरज ढलने लगा, लेकिन भिक्षा का पात्र खाली था ।
तब तो राजा भी घबडाया, गिर पडा पैरों पर उस भिक्षु के और बोला, क्या है इस पात्र में रहस्य ? क्या है जादू ? भरता क्यों नहीं ? उस भिखारी ने कहा, कोई जादू नहीं है, कोई रहस्य नहीं है, बडी सीधी-सी बात है ।
एक मरघट से निकलता था, वहा पर एक आदमी की खोपडी मिल गई, उससे ही मैंने भिक्षापात्र को बना लिया । और
आदमी कि खोपडी कभी भी किसी चीज से भरती नहीं है, इसलिए यह भी नहीं भरता है ।
हम भी ठिक इस भिक्षु के पात्र की तरह ही है, चाहे हम कितना ही क्युं न पाले
हम भी कभी भरते नहीं है । क्योंकि
हम मन के सहारे जीते है ।
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