Friday, December 23, 2016

OSHO Stories in Hindi - Effect Of Real Sadguru Story

OSHO Stories in Hindi

OSHO Stories in Hindi - Effect Of Real Sadguru Story, OSHO Stories in Hindi - Effect Of Real Sadguru Story
OSHO Stories in Hindi


Effect Of Real Sadguru Story 

Osho – बहुत पूरानी कहानी है एक बार एक राजा के दरबार में एक आदमी आया वह अपने बेंटे  को साथ लाया था उसने बेंटे को बडे ढंग से बडा किया था, बडे संस्कारो में ढाला था, बडा परिष्क्रत किया था।
सदा से उसकी यही आकांक्षा थी कि उसका एक बेटा कम से कम राजा के दरबार में हिस्सा हो जाए  उसने उसके लिए ही बडी मेहनत से तेयार किया था
उसे बडा भरोसा था, क्योंकि उसने सभी परिक्षाएं भी उत्तीर्ण कर ली थिं और जहां-जहां, उसे पढने-लिखने भेजा था, गुरूओं ने बडे प्रमाण-पत्र दिए थे और उसकी बडी प्रशंसा की थी वह बडा बुध्दिमान युवक था सुंदर था, दरबार के योग्य था आशा थी बाप को की कभी वह बडा वजीर भी हो जाएगा

राजा से आकर उसने कहा कि मेरे पांच बेटों में यह सबसे बडा ज्यादा सुंदर, सबसे ज्यादा स्वस्थ, सबसे ज्यादा बुध्दिमान है यह आपके दरबार में शोभा पा सकता है, आप इसे एक मोका दें और जो भी जाना जा सकता है, इसने जान लिया

राजा ने सिर भी ऊपर उठाया और कहा, एक साल बाद लाओ बाप ने सोचा शायद अभी कुछ कमी हैं, क्योंकी सम्राट ने सिर भी उठाकर देखा उसे एक साल के लिए और अध्ययन के लिए भेज दिया
सालभर के बाद जब वह और अध्यन करके लौटा, अब अध्यन को भी कुछ बचा, वह आखिरी डिग्री ले आया-फिर लेकर पहुँचा राजा ने उसकी तरफ देखा, लेकिन कहा, ठीक है, लेकिन उसकी क्या विशेषता है ? किसलिए तुम चाहते हो कि यह दरबार में रहें ?

तो उसके बाप ने कहा, इसे मैंने सूफियों के सत्संग में बडा किया है सूफि-मत के संबंध में जितना बडा अब यह जानकार है, दूसरा खोजना मुश्किल है यह आपका सूफी सलाहकार होगा

रहस्य धर्म के कोई जानने वाला दरबार में होना चाहिए, नहीं तो दरबार की शोभा नहीं है सब हैं आपके दरबार में बडे कवि है, बडे पंडित है, बडे भाषावादि है लेकिन कोई सुफि नहीं

राजा ने कहा ठीक है एक साल बाद लाओ एक साल बाद फिर लेकर उपस्थित हुआ अब तो बाप भी थोडा डरने लगा की यह तो हर बार एक साल

राजा ने कहा की ऐसा करो, तुम्हारी निष्ठा है, तुम सतत पिछे लगे हो, इसलिए मुझे भी लगता है कुछ करना जरुरी है तुम हार नहीं गये हो, हताश नहीं हो गए हो

अब ऐसा करो इस युवक को, तुम जाओ और किसी सूफी को अपना गुरू मान लो, और किसी सूफी को खोज लो जो तुम्हें शिष्य मानने को तैयार हो तुम्हारा गुरु मान लेना काफी नहीं है कोई गुरु तुम्हें शिष्य भी मानने को तेयार हो फिर सालभर बाद जाना

अब युवक गया एक गुरु के चरणों में बेठा सालभर बाद बाप उसको लेने आया वह गुरु के चरणों में बैठा था, उसने बाप कि तरफ देखा ही नहीं बाप ने उसे हिलाया कि नासमझ, क्या कर रहा है? उठ साल बित गया, फिर दरबार चलना है

उसने बाप को कोई जवाब भी नहीं दिया वह अपने गुरू के पैर दबा रहा था, वह पैर ही दबाता रहा
बाप ने कहा कि व्यर्थ गया, काम से गया, निकम्मा सिद्ध हो गया इसीलिए हमने तुझे पहले किसी सूफी फकिर के पास नहीं भेजा था हम सूफी पंडितो के पास भेजते रहे यह राजा ने कहा की झंझट बता दि कि कोई गुरू जो तुझे शिष्य कि तरह स्वीकार करें

तू सुनता क्यो नहीं? क्या तू पागल हो गया है की बहरा हो गया है? मगर वह युवक चुप ही रहा। साल बित गया, बाप दूखी होकरे घर को लौट गया राजा ने पुछ्वाया कि लडका आया क्यों नहीं?
यहां तो सब कारण हैं। लोग शर्तबंदी किए हुए है।

बाप ने कहा की सब व्यर्थ हो गया, निकम्मा साबित हो गया क्षमा करें, मेरी भूल थी, मैंने पत्थर को हिरा समझा लेकिन राजा ने अपने वजीरो से कहा कि तैयारी कि जाए, उस आश्रम में जाना पडेगा
राजा खुद आया द्वार पर खडा हुआ गुरु लडके को हाथ से पकडकर दरवाजे पर लाया और राजा से उसने कहा की अब तुम्हारे यह योग्य है, क्योंकी पहले तो यह तुम्हारें पास जाता था, अब तुम इसके पास आए

बाप की द्रष्टि में यह निकम्मा हो गया, किसी काम का रहा लेकिन अब यह परमात्मा कि दूनिया में काम का हो गया है अगर यह राजी हो, और तुम ले जा सको, तो तुम्हारा दरबार शोभायान होगा यह तुम्हारें दरबार की ज्योति हो जाएगा

कहते हैराजा ने बहुत हाथ-पैर जौडे, लेकिन वह युवक जाने को तैयार हुआ | – पर उस युवक ने कहा कि अब इन चरणो को छोडकर कहीं जाना नहीं है दरबार मिल गया – Story By Osho Rajneesh.


1 comment:

  1. i have no words to say such a great story of great spritual leader osho.

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